लेखनी कहानी -14-Nov-2022# यादों के झरोखों से # मेरी यादों की सखी डायरी के साथ
प्रिय सखी।
कैसी हो। मै अच्छी हूं! Mothers day per mere kuchh vichar.
।वैसे मै इन मान्यताओं को मानती नही हूं लेकिन फिर भी चलन है तो कहती हूं मातृ दिवस की बधाई। मां को हम कब भूलते है जो उनके लिए एक निश्चित दिन तय करे कि आज मदर्स डे है। बच्चा से बूढ़ा भी जब बीमार होता है और ठोकर खाता है या किसी तकलीफ मे होता है वो यही कहे गा ।हे मां ।हाय मां।कहते है हर रिश्त से नौ महीने फालतू रिशता होता है मां का एक बच्चे के लिए। मां से बच्चे को जो जोड़ती है वो नाल के जरिए मां से मानसिक रुप से जुड़ा होता है । मां को तकलीफ़ हो तो बच्चा पेट मे लात मारता है।
सखी तुम किसी भी बच्चे से पूछना कि तुम्हारी मां कैसी है चाहे वो काली हो ,मोटी हो , भद्दी हो , गुस्सैल हो ।पर उसे अपनी मां हर हालत मे अच्छी लगती है।
अब तुम गृहस्थ जीवन में ही ले लो कोई भी बहू जिसे ये लगता है कि मेरी सास बहुत लड़ने वाली और गुस्सैल है लेकिन उसके पति के मुंह से यही निकलता है "मेरी मां जैसी कोई नही है तुम मे ही कोई कमी होगी जो तुम्हें मेरी मां अच्छी नही लगती।"
वैसे ही हर बहू को जो पीछे से बेटी होगी उसे अपनी मां मे ही सारे गुण नजर आते है ।सास तो अवगुणों की खान है।किसी ने सच ही कहा है भगवान जब हर व्यक्ति के पास पहुंचने मे असमर्थ हो गया तो उसने मां बनाई। क्यों कि मां ही जीवन दाता है मां ही जीवन पालक है ।और मां ही जीवन की पहली शिक्षक है। इसलिए सखी मां से बढ़ कर एक बच्चे के लिए कुछ नही हो सकता।एक बार फिर से मातृ दिवस मुबारक हो। अलविदा।
Gunjan Kamal
17-Dec-2022 06:06 PM
बिल्कुल सही
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